
लैलूंगा विकासखंड में युक्तियुक्तकरण योजना पर उठे सवाल, अनेक अनियमितताएं उजागर
लैलूंगा, रायगढ़। शासन की युक्तियुक्तकरण योजना के तहत शिक्षकों की नियुक्ति एवं विद्यालयों के समायोजन को लेकर लैलूंगा विकासखंड में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। इस योजना का उद्देश्य शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाना और संसाधनों का समुचित उपयोग करना था, लेकिन इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और कई विद्यालयों की उपेक्षा ने इसे विवादों में ला दिया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विकासखंड के कई एकल शिक्षक शालाओं को इस योजना की सूची में शामिल ही नहीं किया गया। जिन विद्यालयों को शामिल नहीं किया गया, उनमें प्रमुख रूप से प्रा. शा. सिहारपारा चोरगा, प्रा. शा. केंदाटिकरा, प्रा. शा. सलिहापारा कटकलिया आदि शामिल हैं। इन शालाओं में वर्षों से एकल शिक्षक कार्यरत हैं और विद्यार्थी भी नियमित अध्ययन कर रहे हैं। ऐसे में इन्हें योजना से बाहर रखना कई सवाल खड़े करता है।
स्थानीय शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि युक्तियुक्तकरण की सूची में शामिल शिक्षकों को अपना पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं दिया गया। दावा-आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए कोई निर्धारित समय सीमा या औपचारिक सूचना नहीं दी गई, जिससे कई शिक्षक अपने स्थानांतरण या समायोजन के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज नहीं कर पाए।
इसके अतिरिक्त, शिक्षकों को काउंसलिंग की सूचना भी उचित माध्यमों से न देकर केवल व्हाट्सएप जैसी अनौपचारिक माध्यम से दी गई। इससे कई शिक्षक समय पर सूचना प्राप्त नहीं कर सके और उन्हें प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर नहीं मिला। सूचना का यह तरीका शासन के नियमानुसार न केवल अनुचित है, बल्कि कई शिक्षकों के अधिकारों का हनन भी है।
लैलूंगा क्षेत्र के शिक्षकों में इस पूरे प्रकरण को लेकर गहरी नाराज़गी है। उनका कहना है कि योजना की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो चुके हैं और इसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। यदि समय रहते इसमें सुधार नहीं किया गया तो शिक्षा व्यवस्था पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
शिक्षकों ने शासन और जिला शिक्षा अधिकारी से मांग की है कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को दोबारा निष्पक्ष रूप से संचालित किया जाए, सभी प्रभावित शालाओं और शिक्षकों को उचित अवसर दिया जाए, और सूचना प्रणाली को आधिकारिक माध्यमों से संचालित किया जाए।