
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी आदिवासियों को नही मिल रहा शासन का लाभ

कई सालों से राशन कार्ड बनवाने काट रहे चक्कर
आश्वसन और पैसे की मांग पर नही बन पाया गरीब परिवार का राशन कार्ड
लगभग 20 परिवारों को अब तक नही दिला पाए सरपंच सचिव बीपीएल न एपीएल कार्ड का लाभ
मजदुरी कर दुकानों से खरीद कर लाते है राशन
क्या यही डिजिटिल इंडिया है और सरकार की योजना हर घर तक कैसे पहुँचेगी ।
यह सारा कहानी है बीहड़ आदिवासी समुदाय के लोग जहां निवास करते है
लैलूंगा –
यह गांव पूरे बीहड़ आदिवासियों का है जहां शिक्षा के अभाव में ग्रामीण विकास ओर बढ़ने में सक्षम होते नही दिख रहे है इस गांव में लगभग 20 परिवारों को आज तक राशन कार्ड नही बना है जबकि इसके लिये कई बार सरपँच सचिव से गुहार लगाई गई है पर आश्वसन के नाम पर छला गया है वही कुछ लोगो का तो कहना है कि राशनकार्ड के नाम सालों पहले पैसा भी लिया गया था लेकिन आज तक राशनकार्ड नही बन पाया हर बार की तरह जब जब सरपँच से पूछा जाता है कि राशनकार्ड कब बनेगा तो सरपँच का रटारटाया जवाब वही होता है लैलूंगा जनपद से फार्म लाएंगे फिर आप लोगो का कार्ड बन जायेगा लेकिन क्या इन तीन सालों में सरपँच सचिव जनपद पंचायत की चौखट पर कदम नही रखे होंगे आदिवासी समाज के भोले भाले ग्रामीण अधिकारियों के पास अपनी बात नही रख पाते इस लिए गांव में निर्वाचित सरपँच को ही अपनी समस्या बताते है। अगर मान लेते है कि यह ग्रामीण राशनकार्ड का हक दार नही है तो फिर कैसे लोग हक दार होंगे अगर पात्रता की बात करे तो एपीएल कार्ड तो बन सकता था पर यहां तो यह भी नसीब नही है जबकि 20 परिवारों के लोग आज मेहनत मजदूरी कर राशन दुकानों से खरीदी कर अपना पेट भरते है सरकार गरीब परिवार के लिये बीपीएल कार्ड दे रही है लेकिन जिनको लाभ मिलना चाहिए उन्हें नही मिल पा रहा आखिर क्यों ग्रामीणों को उनके हक से दूर रखा जा रहा है। ग्रामीणों को उनके मूलभूत सुविधाओं को दिलाना एक निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का दायित्व बनता है लेकिन कहि न कही विकास के नाम पर सरपंच पद केवल दुरुपयोग ही किया जा रहा है क्या इस मुद्दे को लेकर प्रशासन के लोग कब संज्ञान लेते है और इन भोले भाले ग्रामीणों को इनका हक दिलाते है यह तो देखने वाली बात होगी
केंद्र सरकार व राज्य सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत अंतिम जन तक राशन मुहैया कराने की योजना चला रही है जिसमें आमजन को राशन में चावल, चना, शक्कर, मिट्टी का तेल नामांकित है साथ ही कोरोना काल में निशुल्क एवं अतिरिक्त चावल वितरण साथ ही वर्तमान मैं 2022-23 अंतर्गत अप्रैल से लेकर सितंबर तक निशुल्क चावल एवं अतिरिक्त चावल वितरण का कार्यक्रम चलाया जा रहा है राशन कार्ड हितग्राही अंतोदय कार्ड , प्राथमिकता कार्ड एवं अन्य सामान्य कार्ड लेकर अपने हक्का राशन लेकर जाते हैं परंतु रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बैगिनझरिया में आज भी आदिवासी समुदाय के लोग राशनकार्ड का लाभ नही ले पा रहे है



