
बदहाली में जीने को मजबूर बिरहोर समुदाय
नहीं मिल रही मूलभूत सुविधाएं



गुरुचरण सिंह राजपूत
धरमजयगढ़ अमर स्तंभ
रायगढ़ जिले के विकासखंड धरमजयगढ़ में आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोगों को मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नही है वहीं, कई परिवार प्रधानमंत्री आवास के अभाव में झोपड़ी में प्लास्टिक तानकर रहने को विवश हैं.आपको बता दे की उक्त मामला धरमजयगढ़ विकाखंड के ग्राम पंचायत सिवार के आश्रित ग्राम बरपाली का है जहां राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बिरहोर जनजाति के लोग दयनीय स्थिति में जीवन गुजारा कर रहे है।यहां निवासरत बिरहोर समुदाय के लोगो का कहना है की जिला और स्थानीय प्रशासन के लोग आज तक इस गांव में नही आए जबकि आदिम जनजाति के अंतर्गत आनेवाले बिरहोर समुदाय के लिए केंद्र सरकार ने एक विशेष कानून बनाया था. उस कानून के तहत इन्हें संरक्षित और स्थाई निवास करने के लिए तथा खेती, कृषि की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इन्हें कल्याण विभाग की तरफ से मद उपलब्ध कराया जाता है. इसके बावजूद इन्हें ना गैस मिला है, ना राशन और ना ही आवास. बिरहोर परिवारों का कहना है कि रोजगार के उन्हें सरकार का सहयोग भी नहीं मिल रहा है. जिसके कारण बिरहोर परिवार बदहाली और कंगाली के कगार पर पहुंच गए हैं.जबकि महज कुछ किलोमीटर दूर ग्राम खलबोरा में इसी समुदाय के लोगो को सरकार की सभी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है ऐसे में इस समुदाय के लोग जिले और स्थानीय प्रशासन पर सौतेलेपन का आरोप लगा रहे है।इस दौरान गाने में निवासरत महिला और पुरुषों ने बताया की मुख्य सड़क से गांव तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नही है ऐसे में इस गांव तक एंबुलेंस नही पहुंचती और जब कभी गर्भवती महिला या किसी मरीज को अस्पताल तक ले जाना होता है तो उसे खाट पर डोह कर मुख्य सड़क तक ले जाना होता है इसके साथ बिरहोर समुदाय के लोगो ने बताया की खलबोरा में निवासरत बिरहोर समुदाय के लोगो को सरकार की प्रत्येक सुविधा दी जा रही है किंतु यहां के लोग आज भी समाज की मुख्य धारा से दूर है ऐसे में इसे प्रशाशन द्वारा सौतेला व्यवहार करना बताया जा रहा है।