
लैलूंगा बिधायक निवास में छत्तीसगढ़ की पारम्परिक गीतों के साथ सजी भोजली
चंद्र शेखर जायसवाल सहयोगी ममता साहू


लैलूँगा/ लैलूँगा विधानसभा के मुदुभासी बिधायक चक्रधर सिंह सिदार ने छत्तीसगढ़ की पारम्परिक गीतों के साथ अपने निवास में भोजली उगाया । बिधायक ने बताया कि नागपंचमी को भी भुजरियाँ उगायी जाती हैं। उसे पूजा के पश्चात ‘भुजरियाँ’ गाते हुए नदी अथवा तालाब अथवा कूएँ में सिराया जाता है। इस अवसर पर गाए जाने वाले लोक-गीतों को भोजली गीत और इस पर्व को भोजली पर्व कहा जाता है। कवर्धा राज परिवार में वर्ष 1728 से भोजली पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई थी। जिसे आज तक मनाया जा रहा है ।