लैलूंगा में नहर लाइनिंग का घटिया काम फिर शुरू — बिना क्वालिटी के चल रहा खेल, लोगों में भारी आक्रोश!
बरसात खत्म होते ही लैलूंगा क्षेत्र में नहर लाइनिंग कार्य दोबारा शुरू कर दिया गया है, लेकिन इस बार भी निर्माण की गुणवत्ता को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है। वही पुराना खेल, वही लापरवाही… और जिम्मेदारों की चुप्पी! इस पूरे मामले ने क्षेत्र में बवाल खड़ा कर दिया है और ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर है।
सूत्रों के अनुसार, नहर लाइनिंग के लिए स्लिपर कार्य शुरू तो कर दिया गया, परंतु उसमें न तो प्लास्टिक बिछाया जा रहा है और न ही छड़ (रॉड) का उपयोग हो रहा है—जो कि मानक निर्माण में अनिवार्य होता है। इससे साफ है कि ठेकेदार और बेस इंजीनियर मिलकर मनमर्जी से बिना गुणवत्ता के काम को आगे बढ़ा रहे हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ महीनों पहले इसी निर्माण कार्य की जांच टीम द्वारा जांच की गई थी, जिसमें निर्माण की गुणवत्ता अत्यंत खराब पाई गई थी। इसके बाद जिला स्तरीय टीम ने कार्य को तत्काल प्रभाव से बंद भी कराया था। लेकिन अब बारिश के बाद बिना किसी सुधार, बिना किसी दिशा-निर्देश, और बिना गुणवत्ता नियंत्रण के एक बार फिर वही काम शुरू कर दिया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि करोड़ों रुपये की लागत से बन रही नहर लाइनिंग यदि ऐसे ही घटिया निर्माण के सहारे खड़ी की गई तो बरसात आते ही फिर टूट-फूट का खतरा रहेगा। यह सिर्फ पैसे की बर्बादी नहीं बल्कि किसानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। खेतों तक पानी पहुंचाने वाली नहरें यदि मजबूत न हों तो पूरे क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था चरमरा जाएगी।
स्थानीय लोगों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ठेकेदार और इंजीनियर के बीच सांठगांठ से घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है ताकि अधिक मुनाफा कमाया जा सके। ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द ही निर्माण गुणवत्ता में सुधार नहीं किया गया और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वे धरना-प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे।
लोगों का आक्रोश इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि पूर्व में जांच के बावजूद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे भ्रष्टाचार और लापरवाही को खुली छूट मिलती दिख रही है।
क्षेत्र के सामाजिक संगठनों ने भी आवाज उठाई है कि नहर लाइनिंग जैसा महत्वपूर्ण कार्य गुणवत्ता के साथ किया जाए, ताकि किसानों को भविष्य में परेशानी का सामना न करना पड़े। वहीं, प्रशासन इस बार क्या कदम उठाएगा, यह देखने वाली बात होगी।
कुल मिलाकर लैलूंगा में नहर निर्माण कार्य एक बार फिर सवालों के घेरे में है और जनता यह पूछ रही है—
“गुडवत्ता विहीन काम आखिर कब तक चलता रहेगा?”
अगर प्रशासन ने कड़ाई नहीं दिखाई तो आने वाले समय में यह मुद्दा बड़ा आंदोलन बन सकता है।








