
श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर बेलमुंडी बिलासपुर में हुआ
विनय सिंह बिलासपुर

आयोजन के बीच बौद्धिक योगी गोष्टी के साथ भजन भंडारे का आयोजन संपन्न
विश्व मानव परमार्थ ट्रस्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व विश्व हिंदू सेवा दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता पं श्रवण कुमार दुबे समुद्रशास्त्रविद के द्वारा शांति पाठ का आयोजन के साथ हर मासिक पुर्णिमा को क्षेत्र की समृद्धि व विकास के लिए एक कुंडीय यज्ञ का भी आयोजन होने की घोषणा
गुरु की महिमा का भक्तों के द्वारा बखान किया गया
–बिलासपुर–बिलासपुर जिले के बेलमुंडी श्री सिद्ध पंचमुखी हनुमान के साथ आश्रम भी है जहां पर पावन दिवस परआज बौद्धिक एवं योगी गोष्ठी के माध्यम से पंडित श्रवण कुमार दुबे समुद्रशास्त्रविद, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विश्व मानव परमार्थ लीगल एंड सोशल ग्रुप ट्रस्ट के द्वारा संपन हुआ साथ ही साथ भंडारे प्रसाद एवं भजन का कार्यक्रम भी आयोजित रहा इस पावन कार्यक्रम में चाणक्य चैतन्य पुरी जी उर्फ सर्किटपूरी बाबा के सानिध्य में कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसमें श्री सिद्ध पंचमुखी हनुमान मंदिर बेलमुंडी में बड़े ही लाभप्रद और अलौकिक दृश्य दिशा के मिलन के दिव्यता भाव रहा और जो भी इस शुभ मुहूर्त का फायदा उठाया उस भक्तों को भगवान का आशीर्वाद मिला और बेलमुंडी आश्रम में लोगों ने बताया कि यहां पर भक्त जिस भाव से जिस रूप में जो इच्छा मन से मांगते हैं ईश्वर उनकी मनोकामना पूरी करते हैं आश्रम में मनोहर तालाब के साथ-साथ आश्रम में कई प्रकार के वनस्पति जीव जगत जंतु पर्यावरण की अनमोल छटा का आवरण भी मनो हित कर रहे थे शनिदेव, विराजमान है और भव्य राम सीता की मूर्ति शीघ्र ही स्थापित होगी साथ भक्तों की सुख व समृद्धि विकास के लिए हर मासिक पूर्णिमा को 1 कुंडीय यज्ञ भी किया जाएगा जिसकी जल्दी घोषणा किया जाएगा तत्पशचात वेद मंत्रों के साथ पंडित श्रवण दुबे समुद्र शास्त्र विद् राष्ट्रीय प्रवक्ता विश्व हिंदू सेवा दल ट्रस्ट इन लीगल एंड सोशल ग्रुप ट्रस्ट के द्वारा भजन भाव संध्या का आयोजन रखा जिसमें ग्रामीण वासियों व राघवेंद्र सिंह जी ने भजन गाकर परम आत्माओं को याद किया अष्ट कौशल महंत श्री शंभू पुरी जी को याद किया व आश्रम को भव्य बनाने की जनता से लोगों को आवाहन किया।इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से पंडित श्रवण कुमार दुबे राष्ट्रीय प्रवक्ता समुद्रशास्त्रविद विश्व हिंदू सेवा दल, ने कार्यक्रम में मुख्य रूप से 11 सूत्रीय कार्यक्रम के बारे में लोगों को जागरूक भी किया जिसमें स्वास्थ्य शिक्षा प्रशिक्षण रोजगार पर्यावरण संरक्षण संरक्षक धर्म संस्कार गुरुकुल गौशाला के साथ असामाजिक तत्व पर नकेल महिला सशक्तिकरण रोजगार सशक्तिकरण व सामाजिक न्याय के साथ कुरीतियों पर रोक, धर्म को मज़बूत करने ऐवम सामूहिक विवाह कार्यक्रम के साथ वैदिक चर्चा हुई जिसमे ‘संस्कृत-वाक्य-प्रबोध:’ ग्रन्थ से संकलित बीस विचार-रत्न ●
सभी सनातनिओ और
विद्यार्थियों को संस्कृत संभाषण का अभ्यास करने में सहायता मिले ,इस उद्देश्य से महर्षि दयानन्द जी ने आज से लगभग 136 वर्ष पूर्व 1880 ई० (1936 वि०) में ‘संस्कृत-वाक्य-प्रबोध:’ नामक एक लघु-ग्रन्थ लिखा था । इसमें विभिन्न विषय सम्बन्धित अनेक संवाद संस्कृत एवं हिन्दी दोनों भाषाओं में दिए गए हैं । इस ग्रन्थ का स्वाध्याय करते हुए मैंने यह अनुभव किया कि इसमें तो ऐसे कई विचार-बिन्दु बिखरे पड़े हैं जिन्हें संकलित कर प्रस्तुत करने से कई जिज्ञासु पाठकों के लिए वे पठनीय एवं उपयोगी सिद्ध होंगे । इसी विचार से प्रेरित होकर महर्षि के उपर्युक्त ग्रन्थ से कुछ चुने हुए चिन्तन-सूत्र यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैं –
● जो ईश्वर की उपासना करता है उसका विज्ञान बढ़ता है ।
● जो परोपकारी होता है वह सर्वथा सुखी होता है ।
● जो धर्म का सेवन करता है वही सुख पाता है ।
● जो योग का अभ्यास करता है वह ज्ञान-प्रकाश से युक्त होता है ।
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● जो मद्य पीनेवाला है उसकी बुद्धि न्यून होती है ।
● बुद्धिमान् पुरुष तो जितना पचे उतना ही खाता है ।
● जो शरीर से परिश्रम नहीं करता वह शरीर के सुख को प्राप्त नहीं होता ।
● जो आत्मा से पुरुषार्थ नहीं करता उसको आत्मा का बल भी नहीं होता ।
● जो पग से चलता है वह रोग-रहित होता है ।
● किसी को भी मैले कपड़े नहीं पहनने चाहिए ।
● जिसको पूर्ण विद्या और जो जितेन्द्रिय है उसको परोपकार करने के लिए
संन्यासाश्रम का ग्रहण करना शास्त्रोक्त है ।
● जैसा संन्यासाश्रमी से मनुष्यों का उपकार हो सकता है वैसा गृहाश्रमी से नहीं हो सकता, क्योंकि अनेक कामों की रुकावट से इसका सर्वत्र भ्रमण ही नहीं हो सकता ।
● यह तो पशु-पक्षियों का भी स्वभाव है कि जब कोई उनके घर आदि को छीन लेने की इच्छा करता है तब यथाशक्ति युद्ध करते अर्थात् लड़ते ही हैं ।
● ‘सभा’ शब्द का अर्थ है – जो सच-झूठ का निर्णय करने के लिए प्रकाश से सहित हो ।
● सब दिन वाणी से सत्य, प्रिय और मधुर बोलना चाहिए ।
● इस संसार में [एक गृहस्थ के लिए] अनुकूल स्त्री और पुरुष से होनेवाले सुख के सदृश दूसरा सुख कोई नहीं है ।
● माता-पिता की सेवा का त्याग किसी को कभी न करना चाहिए ।
● जो सच्चिदानन्द-स्वरूप और जिसके गुण, कर्म, स्वभाव सत्य ही हैं वह ‘ईश्वर’ कहाता है ।
● धर्म, श्रेष्ठ व्यवहार और परोपकार के साथ जिनसे जैसा व्यवहार करना योग्य हो वैसा ही उनसे वर्त्तना चाहिए ।
● वेदोक्त, न्यायानुकूल, पक्षपातरहित और जो पराया उपकार तथा सत्याचरणयुक्त है उसी को ‘धर्म’ जानना चाहिए ।
सभी आम जनमानस के माध्यम से मन्दिर को भव्य बनाने का आवाहन भी किया व आम जनमानस को इस बारे में लोगों को बताया वह लोगों को बड़ी संख्या में भाग लेने के लिए आवाहन किया जिससे आम जनमानस अपने जीवन को मजबूत कर सके, बौद्धिक गोष्टी के चर्चा के दौरान मुख्य महंत चाणक्य चैतन्यपुरी उर्फ सर्किट बाबा जी ने भी अपने विचारों में,, विशेष सहयोग धीरेंद्र दुबे, राष्ट्रीय सचिव विश्व मानव पर्मार्थ ट्रस्ट के साथ बड़ी संख्या में आसपास के क्षेत्र वासी ग्रामीण वासी के साथ गरिमामई उपस्थिति में महाराज चाणक्य चेतन पुरी जी उर्फ सर्किट पूरी बाबा जी के सानिध्य में कार्यक्रम संपन्न हुआ। अंत में सभी ने विसर्जन के साथ प्रसाद वितरण भंडारा हुआ जिसमें भक्तों ने पावन प्रसाद का आनंद लिया ।