ममता साहू की क़लम से


उत्कृष्ट पत्रकारिता के क्षेत्र में आमजन तक बेबाक खबर पहुंचाने मिला यह सम्मान
खरसिया पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर आम जनताओं तक हर खबर को बेबाक पहुंचाने और आरटीआई का उपयोग कर शासन के हर कार्यों को आमजनता तक परोसने का कार्य कर क्षेत्रवासियों को सुविधा प्रदान करने वाले खरसिया के डिग्री लाल जगत को पत्रकारों के संगठन जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने 30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर प्रशस्ति पत्र से सम्मान किया है। यह खरसिया क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।
बता दें कि मीडिया को देश का चौथा स्तंभ माना जाता है जो शासन प्रशासन के तानाशाही पर अंकुश लगाकर उसे नियम के तहत कार्य करने प्रेरित करता है। किसी भी क्षेत्र में हो मीडिया अपना काम बखूबी निभाता है। इस क्षेत्र में खरसिया के डिग्री लाल जगत पत्रकार शामिल है जो क्षेत्र के आमजन से जुड़े विभिन्न खबरों को अपने अखबार में स्थान देते रहते है और अनेक आमजन के मुद्दों को लेकर लगातार अपनी आवाज बुलंद कर अधिकारियों के आंखों में खटकते रहता हैं। यही वजह है आज शासन के हर कार्य जिले में जमीनी स्तर तक पहुंच पा रहा है।

जगत ने खरसिया क्षेत्र में निष्पक्ष और आमजन से जुड़े मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद करते आ रहे हैं:- अनुराग सक्सेना पत्रकारों के संगठन जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने बताया डिग्री लाल जगत ने पत्रकारिता के क्षेत्र में आ रही समस्याओं और आमजनताओं से जुड़ी समस्याओं को लेकर लगातार अपनी आवाज बुलंद खरसिया क्षेत्र में करते आ रहे हैं। उन्होंने कलम की ताकत से आम जन तक अपनी पहुंच बनाई है। इसके लिए जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने बेबाक और निर्भीक पत्रकारिता के लिए पत्रकार डिग्री लाल जगत को "प्रशस्ति पत्र सम्मान" से सम्मानित किया गया है। उनके इस सम्मान से छत्तीसगढ़ राज्य और खरसिया गौरवान्वित हुवा है। उनके द्वारा कोरोना के भीषण समय में भी लगातार सहयोग कर कोरोना वारियर्स के रूप में कार्य किया है।जिनकी सराहना जिला प्रशासन ने भी की है। पत्रकार जगत गरीबों के दुख दर्द और प्रशासन की लापरवाहियों को भी उजागर कर आईना दिखाते रहे हैं। डिग्री लाल जगत को यह सम्मान मिलने पर उनके परिवारजन मित्र समूह और अनेक संस्थाओं द्वारा बधाई देने सुबह से तांता लगा हुवा है।
उदन्त मार्तंड नाम के पहला समाचार पत्र 30 मई 1826 को निकला:- दानिश जमाल जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव दानिश जमाल ने बताया हिंदी भाषा में उदन्त मार्तण्ड के नाम से पहला समाचार पत्र 30 मई 1826 में निकाला गया था।
इसीलिए इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे कलकत्ता के एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था। इसके प्रकाशक व संपादक भी वे खुद थे। इस तरह हिंदी पत्रकारिता की शुरुवात करने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता की जगत में विशेष सम्मान है। जुगल किशोर शुक्ल वकील भी थे और कानपुर के रहने वाले थे। लेकिन उस समय औपनिवेशिक ब्रिटिश भारत में उन्होंने कलकत्ता को अपनी कर्मस्थली बनाया। परतंत्र भारत में हिंदुस्तानियों के हक की बात करना बहुत बड़ी चुनौती बन चुका था। इसी के लिए उन्होंने कलकत्ता के बड़ा बाजार इलाके में अमर तल्ला लेन कोलूटोला से साप्ताहिक ‘उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन शुरू किया यह साप्ताहिक अखबार हर हफ्ते मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था। परतंत्र भारत की राजधानी कलकत्ता में अंग्रेजी शासकों की भाषा अंग्रेजी के बाद बांग्ला और उर्दू का प्रभाव था। इसलिए उस समय अंग्रेजी, बांग्ला और फारसी में कई समाचार पत्र निकलते थे हिंदी भाषा का एक भी समाचार पत्र मौजूद नहीं था। हां, यह जरूर है कि 1818 19 में कलकत्ता स्कूल बुक के बांग्ला समाचार पत्र समाचार दर्पण में कुछ हिस्से हिंदी में भी होते थे। हालांकि उदन्त मार्तण्ड एक साहसिक प्रयोग था, लेकिन पैसों के अभाव में यह एक साल भी नहीं प्रकाशित हो पाया। इस साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियां छपी हिंदी भाषी पाठकों की कमी की वजह से उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल सके। दूसरी बात की हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण उन्हें था। डाक दरें बहुत ज्यादा होने की वजह से इसे हिंदी भाषी राज्यों में भेजना भी आर्थिक रूप से महंगा सौदा हो गया था। पंडित जुगल किशोर ने सरकार ने बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें जिससे हिंदी भाषी प्रदेशों में पाठकों तक समाचार पत्र भेजा जा सके, लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। अलबत्ता, किसी भी सरकारी विभाग ने उदन्त मार्तण्ड की एक भी प्रति खरीदने पर भी रजामंदी नहीं दी पैसों की तंगी की वजह से ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन बहुत दिनों तक नहीं हो सका और आखिरकार 4 दिसम्बर 1826 को इसका प्रकाशन बंद कर है दिया गया। आज का दौर हमारे देश में बिलकुल ही बदल चुका है। औद्योगिक घरानों और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले लोगों द्वारा पत्रकारिता में बहुत ज्यादा आर्थिक निवेश हुआ है और इसे आज-कल उद्योग का दर्जा समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता हासिल हो चुका है। हिंदी के समाचार पत्र पाठकों की संख्या बढ़ी है और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है
मैं हमेशा जनहित मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद करता रहूंगा:- डिग्री लाल जगत जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा सम्मान प्राप्त डिग्री लाल जगत ने कहा मैं सदैव क्षेत्र के लोगों की समस्या को अपनी अखबार में स्थान देते रहूंगा और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करता रहूंगा। मीडिया देश के चौथे स्तंभ के रूप में कार्य कर रही है। जिसको हमें बनाये रखना है। और शासन की योजनाओं जो आम लोगों तक पहुंचने से पहले दम तोड़ने लगती है उसे हम मीडिया के माध्यम से पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाएंगे।







