



2करोड़50 लाख के विकास कार्यों में उपेक्षा से नाराज़ कांग्रेस कार्यकर्ता: बोले- नहीं चाहिए फिर से विद्यावती सिदार!”
कांग्रेस के व्हाट्सएप ग्रुप में विधायक को लेकर असंतोष, कार्यकर्ताओं में जबरदस्त नाराजगी
लैलूंगा/रायगढ़ ज़िले के एक प्रमुख कांग्रेस व्हाट्सएप ग्रुप में उस समय हलचल मच गई जब यह जानकारी सामने आई कि क्षेत्रीय विधायक विद्यावती कुंजबिहारी सिदार ने विधायक निधि से स्वीकृत लगभग 2करोड़ 50 लाख रुपए की पुलिया और सीसी रोड निर्माण के कार्य (BjP) से जुड़े ठेकेदारों और कार्यकर्ताओं को सौंप दिए। इस निर्णय से कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश उत्पन्न हो गया है, जिसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और पार्टी के आंतरिक ग्रुपों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं।
“साय की सरकार, कांग्रेस का विधायक — काम बीजीपी के लोगों को?”
कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जब राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, क्षेत्रीय विधायक कांग्रेस से हैं, तो फिर स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर सारा कार्यभार भाजपा से जुड़े लोगों को क्यों सौंपा जा रहा है? कार्यकर्ताओं ने सीधे-सीधे विधायक पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा है कि “विधायक निधि से होने वाले कार्यों में हमसे कोई सलाह नहीं ली गई।”
कई कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर खुले तौर पर लिखा है कि अब अगली बार वे विद्यावती सिदार को विधायक नहीं बनने देंगे। कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने कहा, “हमने हर हाल में पार्टी और विधायक का साथ दिया, लेकिन जब जनता के बीच काम का मौका मिला, तो हमें दरकिनार कर दिया गया। ये अन्याय है।”
स्थानीय लोगों में में भी आम चर्चा है की लैलूंगा में कांग्रेस के विधायक होने के बावजूद विधायक निधि के दो करोड़ 50 लाख का काम पंचायतों में भाजपा नेता के इशारे दिया गया है जिसमे खुल कर भ्रष्टचार देखने को मिल रहा है
व्हाट्सएप ग्रुप से उठी आवाज़ बनी प्रदेश स्तर का मुद्दा
यह मामला एक कांग्रेस कार्यकर्ता द्वारा बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप में उठाया गया था, जो देखते ही देखते प्रदेश स्तरीय चर्चा का विषय बन गया। कुछ कार्यकर्ताओं ने स्क्रीनशॉट्स साझा कर सीधे तौर पर सवाल खड़े किए कि “विधायक निधि का लाभ भाजपा कार्यकर्ताओं को क्यों?”
ग्रुप में हुई बहस और टिप्पणियों से यह स्पष्ट हो गया है कि विधानसभा क्षेत्र के भीतर पार्टी के भीतर ही गहरा असंतोष पनप रहा है, और अगर इस पर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो यह नाराजगी आगामी चुनाव में भारी पड़ सकती है।
ब्लॉक अध्यक्ष ठंडा राम ने माना — कार्यकर्ताओं में है गुस्सा
इस मुद्दे पर जब पत्रकारों ने कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष ठंडा राम से बात की तो उन्होंने भी कार्यकर्ताओं के असंतोष को स्वीकार करते हुए कहा, “हमें कार्यकर्ताओं की भावनाओं का पूरा सम्मान है। विधायक के कार्यों को लेकर कुछ असंतोष है, जिसे जल्द ही पार्टी स्तर पर बैठक बुलाकर सुलझाया जाएगा। यह हमारा आंतरिक मामला है और इसे आपसी संवाद से ही हल किया जाएगा।”
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि “कई बातें ऐसी हैं जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है, पर कार्यकर्ताओं की राय और सुझावों को अनदेखा नहीं किया जाएगा।”
कांग्रेस में दरार या लोकतांत्रिक असहमति?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सिर्फ असहमति का नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाता है। जब पार्टी का एक विधायक अपने ही कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ कर विपक्ष से जुड़े लोगों को प्राथमिकता देता है, तो इससे पार्टी की जमीनी पकड़ कमजोर होती है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “अगर यह मामला सुलझा नहीं, तो 2028 में इस सीट पर कांग्रेस को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। कार्यकर्ताओं का सम्मान और भागीदारी ही किसी भी पार्टी की ताकत होती है।”
विधायक विद्यावती सिदार की चुप्पी रहस्यमयी
इस पूरे विवाद पर विधायक विद्यावती सिदार ने अब तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बीच उनकी चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। पार्टी के कुछ नेता चाहते हैं कि विधायक स्वयं सामने आकर इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करें और कार्यकर्ताओं को विश्वास में लें।
क्या कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व लेगा संज्ञान?
जैसे-जैसे मामला सोशल मीडिया से निकलकर मीडिया की सुर्खियों में आ रहा है, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी इस विवाद पर नजर बनाए हुए है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पीसीसी (प्रदेश कांग्रेस कमेटी) इस विवाद पर कोई हस्तक्षेप करेगी या इसे स्थानीय स्तर पर ही निपटाने दिया जाएगा।
कार्यकर्ताओं की चेतावनी: “अगली बार टिकट नहीं मिलेगा”
गांव-गांव में कार्यकर्ताओं ने छोटे-छोटे स्तर पर बैठकों का आयोजन शुरू कर दिया है, जहां यह निर्णय लिया जा रहा है कि अगली बार अगर पार्टी फिर से विद्यावती सिदार को टिकट देती है, तो कार्यकर्ता एकजुट होकर विरोध करेंगे।
कुछ जगहों पर तो नाराज कार्यकर्ताओं ने यहां तक कहा कि वे निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन में भी उतर सकते हैं, लेकिन “हम अपनी उपेक्षा और अपमान नहीं सहेंगे।”
निष्कर्ष:
कांग्रेस विधायक विद्यावती सिदार के निर्णय ने पार्टी के भीतर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर बाहरी लोगों को तरजीह देना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है। अगर यह विवाद समय रहते नहीं सुलझा, तो इसका सीधा असर पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर पड़ सकता है। अब देखना यह है कि कांग्रेस नेतृत्व इस आग को बुझा पाता है या यह अंदरूनी असंतोष धीरे-धीरे बगावत का रूप ले लेता है।
कार्यकताओं की उम्मीद पर खरा नही उतर पा रही है विधायक संगठन भी निस्कृय है जिसके कारण पार्टी की छवि खराब हो रही है
पूर्व विधायक चक्रदार सिंह सिदार
कांग्रेस के सोसालमिडिया ग्रुप में आपके प्रति कांग्रेस कार्यकर्ता आंटस्ट हैंऔर आपके प्रति आपके ही कार्यकर्ता विरोध जाहिर किया
है
कोई मामला नही समझती हूं मैं
कोई मामला नही है
कुछ नही बोलना चाहती हूं मैं
विधायक
विधायक विद्यावती सिदार