
लैलूँगा की जनता का धैर्य टूटा: अब पूछ रही है – SDM मैडम का तबादला कब होगा?”
लैलूंगा, “जांच करेंगे”, “उचित कार्यवाही की जाएगी”, “जिम्मेदारों पर कार्यवाही तय”, “प्रकरण विचाराधीन है” — ये कुछ ऐसे जुमले हैं, जिन्हें लैलूंगा की जनता अब रट चुकी है। लेकिन न जांच हुई, न कार्यवाही हुई और न ही व्यवस्था सुधरी। सवाल उठता है — कब तक यह जनता आवेदन लिखती रहेगी और कब इस प्रशासनिक सुस्ती की चादर को उठाकर कोई कार्यवाही की रोशनी आएगी?
अब तो लैलूंगा की जनता का सब्र जवाब दे रहा है। लोग अब खुलेआम पूछ रहे हैं — ‘SDM मैडम का तबादला कब होगा?’ शायद कोई नया अधिकारी आए, जो जिम्मेदारी समझे, व्यवस्था सुधारे, और किसानों की पुकार सुने।
हर ओर अव्यवस्था, और हर जवाब में एक ही राग — “जांच की जा रही है”
लैलूंगा में समस्याओं का अम्बार है — चाहे वह ट्रैफिक व्यवस्था हो, पटवारियों की मनमानी हो, या फिर राशन दुकानों की गड़बड़ियाँ।
हर शिकायत के बाद एक ही जवाब:
“जांच की जाएगी”,
“संबंधित अधिकारी को सूचित कर दिया गया है”,
“जांच रिपोर्ट के बाद कार्यवाही होगी”।
लेकिन ये “जांच” कभी फाइलों से बाहर नहीं निकलती।
पटवारियों की मनमानी पर मौन प्रशासन
किसानों ने पटवारी संगीता गुप्ता समेत कई पटवारियों के खिलाफ शिकायतें दी हैं — कोई फर्जी दस्तावेज, कोई रिश्वत की माँग, कोई महीने में एक दिन भी कार्यालय न आने की बात।
जनता ने आवेदन दिए, गाँवों में धरने हुए, वीडियो और सबूत सौंपे गए।
पर न कोई जांच अधिकारी पहुंचा, न कोई निष्कर्ष निकला।
पिछले छह महीनों में कई हल्का के किसानों ने शिकायतें दीं, जिनमें से एक पर भी कार्यवाही नहीं हुई।
सड़क पर मौतें, पर ट्रैफिक व्यवस्था भगवान भरोसे
लैलूंगा की सड़कों पर आए दिन एक्सीडेंट होते हैं। हाल ही में हुए दो दर्दनाक हादसों में युवाओं की मौत हो चुकी है।
आक्रोशित जनता, अग्र समाज, युवा नेता और जनप्रतिनिधियों ने 5 से ज्यादा बार ज्ञापन दिया, जिनमें ट्रैफिक ब्रेकर, संकेत बोर्ड, स्कूल ज़ोन मार्किंग, और यातायात पुलिस की माँग रखी गई थी।
SDM कार्यालय से हर बार वही जवाब मिला – ‘फॉरवर्ड कर दिया है’।
फॉरवर्डिंग से न जान बच रही, न व्यवस्था बन रही।
राशन दुकानों में घोटाला या ‘धूल झोंकना’?
राशन दुकानों में भी अनियमितताएँ चरम पर हैं।
कई गाँवों में महीने भर का राशन नहीं मिला, कई जगह पुराने डेटा पर वितरण हो रहा है, कई हितग्राही पात्र होते हुए भी वंचित हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी है कि कई दुकानों की रिपोर्ट अटक कर SDM ऑफिस की फाइलों में धूल खा रही है।
कोई अधिकारी जांच करने नहीं गया, पर जवाब मिलता है – “प्रकरण जांचाधीन है।”
किसानों की पीड़ा पर चुप्पी — आवेदन दो, भूल जाओ
किसान हफ्तों तहसील और जनपद कार्यालय के चक्कर काटते हैं।
खेतों की नपाई नहीं हो रही, फसल बीमा में गड़बड़ी है, भूमि रिकॉर्ड अपूर्ण हैं — किसान थककर रह गए हैं।
हर समस्या पर आवेदन, पर उसका कोई उत्तर नहीं।
किसानो ने बताया – “अब तो लगता है अधिकारी आवेदन इकट्ठा कर रिसाइक्लिंग करवा रहे हैं।”
जनता की जुबान पर सवाल – “अब तबादला कब होगा?”
अब जब हर विभाग में ठहराव है, तो लोगों की नज़रें SDM कार्यालय की ओर मुड़ गई हैं।
पूछा जा रहा है कि अगर अधिकारी सुनवाई नहीं कर पा रही हैं, व्यवस्थाओं को नहीं सुधार पा रही हैं, तो फिर उन्हें पद पर क्यों बने रहना चाहिए?
“अगर कोई नया अधिकारी आए, तो शायद सिस्टम हिल जाए, काम हो जाए” — यही आशा अब जनता को बांधे हुए है।
प्रशासन मस्त, जनता त्रस्त – किस ओर जाए लोकतंत्र?
लैलूंगा में लोकतंत्र अब सिर्फ कागज़ पर है।
जनता त्रस्त है, आवेदन दर आवेदन दे रही है, पर अधिकारीगण मस्त हैं – मीटिंग दर मीटिंग कर रहे हैं।
कोई भी ठोस निर्णय नहीं, कोई भी जवाबदेही नहीं।
अब जनता को लग रहा है – ‘SDM मैडम नहीं जाएंगी, तो सिस्टम नहीं बदलेगा’।
क्या सीएम ऑफिस या कलेक्टर कार्यालय ध्यान देगा?
जनता ने अब अपने आवेदन और शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय तक भेजनी शुरू कर दी हैं।
कई संगठनों ने “लैलूंगा बचाओ जनअभियान” नाम से मुहिम छेड़ दी है, जिसका मुख्य मांग-पत्र है:
1. SDM लैलूंगा का तत्काल तबादला
2. ट्रैफिक व्यवस्था की सख्त बहाली
3. पटवारियों के खिलाफ जांच और निलंबन
4. राशन घोटालों की उच्च स्तरीय जांच
5. किसान मुद्दों पर त्वरित कार्यवाही
अब अंत नहीं, शुरुआत चाहिए
लैलूंगा की जनता अब चुप नहीं बैठेगी।
“अब SDM मेडम का तबादला कब होगा?” – ये सिर्फ एक सवाल नहीं, एक जनता का अल्टीमेटम है।
अब बस ‘जांच हो रही है’ नहीं, जवाब चाहिए।
अब बस ‘फॉरवर्ड किया है’ नहीं, कार्यवाही चाहिए।
अब बस ‘प्रक्रिया में है’ नहीं, परिणाम चाहिए।
किया कहते व्यसायिक –
-लैलूंगा में स्कूल टाईम में भारी वाहनों की नो इंट्री एवं ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार का विषय कई बार संज्ञान में लाया गया है और ज्ञापन भी दिया गया है । चका जाम भी किया गया है । पर आज तक कोई सुधार नही हुआ है।
चेम्बर्स आफ कामर्स अध्यक्ष मनीष मित्तल
किया कहते है विधायक-अधिकारी चाहे कोई भी हो जनताओं की समस्याओं का तत्काल समाधान होना चाहिए। जनता की सेवा और व्यवस्था के लिए ही अधिकारी लोगो की पदस्थापना की जाती है ।
लैलूंगा विधायक विद्यावती सिदार