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रिसाली, भिलाई एवं चरोदा के नगर निगम के महापौरों ने लोकतांत्रिक प्रणाली की हत्या कर लोकतंत्र का बनाया मजाक-संजय जे दानी…

रिसाली, भिलाई एवं चरोदा के नगर निगम के महापौरों ने लोकतांत्रिक प्रणाली की हत्या कर लोकतंत्र का बनाया मजाक-संजय जे दानी

रिपोर्ट-अशोक अग्रवाल

नगर पालिक निगम भिलाई के पूर्व नेताप्रतिपक्ष संजय जे.दानी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा संचालित भिलाई नगर निगम,रिसाली नगर निगम,दुर्ग नगर निगम एवं भिलाई तीन चरोदा नगर निगम के महापौरों द्वारा जिस तरह लोकत्रांत्रिक प्रणाली की हत्या कर लोकतंत्र का मजाक बनाया बहुमत के आधार पर बिना चर्चा के बजट को पास करा लिया, निश्चित रूप से वह चुने हुवे जनप्रतिनिधियों का अपमान है। संजय दानी ने कहा कि आदर्श व सुचिता की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी को अपना बजट पास करने के लिये राष्ट्रगान का सहारा लेना पड़ रहा है,पूर्व नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के महापौरगण अपने वरिष्ठ नेताओं के सामने जरूर अपनी पीठ थपथपा रहे होंगे मगर इतिहास गवाह है कि बिना मदवार चर्चा के सालभर का बजट जिसमे आय-व्यय से संबंधित विषय होते है जिसको आधार मानकर शहर के विकास की गाथा लिखी जाती है,उन मदों और विषयों पर चर्चा से भागकर बहुमत के आधार पर वाहीवाही लूटना ये देश की सबसे प्रथम राजनैतिक पार्टी की परंपरा नही रही है। पूर्व नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि शहर सरकार व निगम प्रशासन ने अपने कार्यकाल का प्रथम बजट लगभग 722.76 करोड़ रुपये का अनुमानित लोक-लुभावन बजट तो सदन में पेश कर दिया था,मगर ध्यान देने वाली बात यह है कि महज 100 करोड़ रु.से 110 करोड़ रु.की वास्तविक आय वाले भिलाई निगम में 700 करोड़ रु.आयेगा कहाँ से सभी इस बात से भलीभांति परिचित है कि बजट अनुमानित व संशोधीत होता है, मगर अनुमानित बजट की एक निश्चित सीमा होती है,कहीं ऐसा तो नही की निगम छेत्र में रिक्त 1248 आवासीय व व्यावसायिक भूखंडों के विक्रय से जो राशि निगम कोष में जमा होगी उसी को आधार मानकर 722.76 करोड़ रु.का बजट आयुक्त के माध्यम से बना लिया गया, जबकि भिलाई नगर निगम की पूर्व की देनदारियाँ भी करोड़ों में है जिनका निराकरण आजतक नही हो पाया है,शहर सरकार व निगम प्रशासन को भिलाई की जनता के सामने यह स्पष्ट करना चाहिये कि किन-किन मदों से निगम में आय कितनी-कितनी आती है,और उसकी वर्तमान स्थिति क्या है??? पूर्व नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि निगम प्रशासन ने 70 वार्डों में लगभग 30 लाख रु.के विकास कार्य करवाने का वादा कर अपना बजट तो ध्वनिमत से पास करा लिया था,मगर जो बड़ी योजनाएं है जिसमें करोड़ो रूपये की लागत लगेगी उसे कैसे करेंगे ये भी स्पष्ट होना चाहिये अधोसंरचना मद में राज्य शासन विकास कार्यों हेतु कितने करोड़ रु.भिलाई निगम को देगा केन्द्र सरकार 15 वें वित्त-आयोग के माध्यम से कितने करोड़ की राशि भिलाई नगर निगम को आबंटित करेगा ये सब बजट बैठक में चर्चा के उपरांत स्पष्ट होती,संपत्ति कर,निर्यात कर,चुंगी क्षतिपूर्ति,शिक्षा उपकार के माध्यम से कितनी राशि आय के रूप में निगम में आती है,भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन से प्राप्त संपत्तिकर,निर्यातकर व शिक्षा उपकार से लगभग 8 से 10 करोड़ की राशि किन किन मदों में खर्च की जाती है,ये सारी बातें बजट बैठक में चर्चा के दौरान पार्षदों के संज्ञान में आती,निगम की संचित निधि में जमा लगभग 50 से 55 करोड़ रु.की राशि को किन-किन मदों में खर्च की गई ,भिलाई नगर निगम द्वारा लगभग 10 करोड़ रुपये की राशि सिटी बस हेतु दिया गया था वह राशि आज तक राज्य शासन द्वारा भिलाई नगर निगम को वापस नही दी गयी। पूर्व नेताप्रतिपक्ष ने बताया कि प्रस्तुत बजट में शहर सरकार ने स्वच्छ्ता मद के साथ पूरा न्याय किया है जिसमें निगम 42 करोड़ 70 लाख रु.खर्च किये जाने का प्रावधान है,भले ही शहर की सफाई हो या ना हो मगर सफाई कर्मचारियों के भविष्य निधि की राशि मे गड़बड़ी करने वाले निगम की सामान्य सभा द्वारा सर्वसम्मति से काली-सूची में दर्ज सफाई ठेकेदार रमन को आँच नही आनी चाहिये, जिसे भविष्य निधि छेत्रिय कार्यालय रायपुर द्वारा 7/A की नोटिस प्रदान की जाती है,उस पर विशेष मेहरबानी की जाती है,उस ठेकेदार को निविदा के माध्यम से तय राशि मे कटौती नही होनी चाहिये चाहे शहर की गंदगी साफ हो या ना हो,शहर सरकार का विशेष कृपापात्र है सफाई ठेकेदार उससे सवाल जवाब भी नही किया जाता कि गीले व सूखे कचरे से कितने टन खाद बनाकर कितनी राशि निगम कोष में जमा करता है,सफाई कामगारों को 2 महीने से वेतन नही देता है उनकी ई.पी.एफ.और ई.एस. आई.की राशि जमा की जा रही है या नही ये भविष्य के गर्भ में है,नियमित कर्मचारी व अधिकारीगण लगभग दो माह से वेतन नही मिलने के कारण धरना प्रदर्शन कर रहें है इसका जवाबदेह कौन है स्पष्ट रूप से प्रशासनिक क्षमता,दूरदर्शिता का अभाव दिख रहा है।भाजपा शासन काल मे पेयजल आपूर्ति हेतु(143 M. L. D.) की (भिलाई पेयजल आवर्धन योजना) लागू होने के बाद भी हम भिलाई नगर निगम को पेयजल आपूर्ति हेतु वार्डों में ट्रक व टैंकरों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति से मुक्ति क्यों नही दिला पाये उस पर चर्चा होनी थी,भागीरथी नल-जल योजना के माध्यम से अभी तक निगम के प्रत्येक घरों में नल कनेक्शन क्यों नही दे पाये इस पर चर्चा होनी थी।तत्कालीन विशेष छेत्र विकास प्राधिकरण एवं निगम के अस्तित्व में आने के पश्चात निगम छेत्र के 299 आवासीय व व्यावसायिक भूखंडों एवं शिवनाथ विस्तार काम्प्लेक्स जो जाँच हेतु लोकायुक्त में है उसकी क्या स्थिति है,अगर उसका निराकरण हो जाता तो निगम में आय के रूप में बड़ी राशि जो करोड़ो में होती निगम के कोष में जमा होती,जिसकी लोकायुक्त में शिकायत पूर्व राज्य मंत्री कुरैशी जी ने की थी वो मामला आज तक लंबित है। तत्कालीन विशेष छेत्र विकास प्राधिकरण के समय मधु-मेमोरियल अस्पताल के लिये लगभग 10 एकड़ जमीन जो (no profit – no loss) के आधार पर आबंटित होनी थी,उसमें निगम में निवासरत जनता के लिये सरसुविधायुक्त चिकित्सालय जिसमें सभी आय के वर्ग के लोगों का निःशुल्क ईलाज हो ऐसे आधुनिकतम चिकित्सालय का निर्माण केन्द्र व राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से हो जो भिलाई नगर निगम में निवासरत जनता के लिये मील का पत्थर साबित होता इसकी कोई सुबगुहाहट नही है।भिलाई नगर निगम को विकसित व विकासशील शहरों की श्रेणी में लाने हेतु केन्द्र सरकार से मदद लेनी चाहिये,अमृत-मिशन योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि का उपयोग ईमानदारी से शहर के विकास के लिये किया जाना आवश्यक है।मगर बजट पर मद वार चर्चा ही नही होने दिया गया।पूर्वं नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि अगर पूरे बजट पर सरसरी निगाह डालें तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि जब तक केन्द्र सरकार व राज्य सरकार पैसा नही देगी तब तक यह आंकडों का मायाजाल है, प्रस्तुत बजट में उल्लेखित किया गया कि संपत्तिकर से निगम में 54 करोड़ 93 लाख रु.और संपत्ति से प्राप्त किराया-भाड़ा से लगभग 36 करोड़ 14 लाख रु.आने की उम्मीद है वसूली से लगभग 22 करोड़ व शासन से लगभग 251करोड़ रु. का अनुदान मिलने का उल्लेख बजट पुस्तिका में दर्शाया गया है,70 वार्डों में समानुपातिक विकास कार्यों को मूर्तरूप कैसे प्रदान करेगी शहर सरकार ये बड़ी चुनौती है,भिलाई नगर निगम को (out sourcing) के माध्यम से संपत्ति कर की वसूली हेतु निगम के कर्मचारियों का ही उपयोग किया जाना चाहिये जो निगम हित मे श्रेयकर होगा,मगर निगम प्रशासन ने इस प्रस्तुत बजट के माध्यम से यह जरूर स्पष्ट किया कि सपने हमेशा बड़े व ऊँचे देखना चाहिये तभी उन सपनों के साकार होने की उम्मीद होती है चाहे निगम का खजाना खाली ही क्यों न हो समस्यायें तो रोजमर्रा की जिंदगी है,और इसका सामना सिर्फ और सिर्फ आम जनता को ही करना पड़ता है ये शाश्वत सत्य है।

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