
जो भक्त भाव से प्रार्थना करता है शिव सदैव उसके अधीन है : शास्त्री
सुहेला ।



स्थानीय दुर्गोत्सव मैदान में स्व. सोनचन्द वर्मा स्मृति फाउंडेशन के तत्वधान में आयोजित शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन आचार्य महामाया प्रसाद शास्त्री (उत्तराखंड) ने कहा कि जो भक्त भगवान से कार्य करवाना चाहता है , वो भगवान खुशी से करते है क्योंकि भक्त के बस में भगवान भगवान है और स्वम शिव जी कहते है की मैं उनके अधीन हु जो पूर्ण भाव से मुझे स्वीकार करता है ।
वही शास्त्री ने सतरुद्रीय संहिता कथा का वृत्तांत सुनाते हुए कहा कि यह कथा महादेव स्वयं माता पार्वती को कैलाश पर्वत में सुना रहे है , इस संहिता में भगवान शिव के अद्भुत सैकड़ों अवतार हुए है , श्रृष्टि के प्रारंभ में भगवान महादेव के पांच अवतार है ।
जिसे पंचमूर्ति अवतार भी कहा जाता है , शिव महापुराण में लिखा है कि पंचमूर्तियो की कथा जो इंसान श्रवण या नाम स्मरण करता है उसके जीवन में सुख समृद्धि आती है ।
शिव की लीला भगवान स्वयं जानते है , इसी बीच भील की कुटिया में भगवान शिव जी पहुंचे , जिस प्रकार अतिथियों का बड़े ही सुन्दर रूप से आव्हान होता है ठीक उसी प्रकार भील ने उनका स्वागत किया सेवा कर ही रहे थे की भगवान को निद्रा आ गई , कुछ समय बाद उठे तो भील से बोले बड़ी थकान थी , अब यही कहते कहते सांय हो गई , भील ने विनम्र भाव से कहा प्रभु जो हमारे कुटिया में था उनसे आपकी सेवा की , कथा के अंतिम वर्णन में शिव जी ने भील और भीलनी के उद्धार के लिए अतिनाश का अवतार लिया ।