spot_img
Saturday, December 13, 2025
Saturday, December 13, 2025
WhatsApp Image 2025-09-27 at 19.02.00_2560a816
WhatsApp Image 2025-09-27 at 19.02.00_8a3c1831

लो जी, लेखकों का नंबर आ गया, अब ख़ुश!
(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)

लो जी, लेखकों का नंबर आ गया, अब ख़ुश!
(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)

शुक्र है आखिरकार अरुंधती राय का नंबर आ ही गया। वर्ना भक्त बेचारे तो इंतजार करते-करते थक चले थे। अपने भगवान के न्याय में अविश्वास जताते, तो जताते कैसे! पर अपने भगवान के खिलाफ ईश निंदा का पाप बर्दाश्त करते जाते, तो कैसे? और कब तक? बेचारे लट्ठ से बात करने वालों ने बार-बार लिखकर ध्यान दिलाया कि – भगवन कुछ कीजिए। मैदान में प्रदर्शनों से बढक़र फेसबुक, ट्विटर वगैरह पर शोर मचाया कि बहुत हुआ भगवान कुछ तो कीजिए। एक सौ एक आलोचनाएं पूरी हुईं, अब तो सुदर्शन चक्र चलाइए – आलोचकों का वध कीजिए। बस अब नंबर आया कि अब नंबर आया, कहकर बेचारों ने कितनी बार खुद को धीरज बंधाया कि अब नंबर आएगा; सब का नंबर आएगा। सब का नंबर आएगा, मगर कब? शुक्र है आखिरकार, अरुंधती का भी नंबर आ ही गया। भगवान ने भक्तों का भरोसा डिगने से ऐन टैम पर बचा लिया – मोदी जी के राज में देर है, अंधेर नहीं है। देर से ही सही, पर अब लेखकों का नंबर भी आ ही गया है।

ये लेखक, जो बड़े निरीह से, बेचारे से, निरापद से लगते हैं, उसके धोखे में भक्त तो खैर कभी नहीं आए, पर दूसरों को भी नहीं आना चाहिए। ये तो सिर्फ लिखते हैं। न बम चलाते हैं, न गोली-गोले, छड़ी तक नहीं। बहुत हुआ तो जुबान चलाते हैं, वर्ना ज्यादातर तो सिर्फ कलम चलाते हैं। इनसे किसी को क्या खतरा हो सकता है? पर इससे बड़ा धोखा कोई नहीं हो सकता। उल्टे प्रभुओं को असली खतरा इन्हीं से है। डोभाल जी की नजर हटी कि दुर्घटना घटी। सचाई ये है कि दिमाग ही सारी खुराफातों की जड़ है। वहीं उठते हैं, प्रभु की आलोचना के, प्रभु निंदा के विचार। और ये लेखक लोग, जो इतने हानिरहित से लगते हैं, प्रभु निंदा के इन विचारों को पकड़-पकड़ कर कागज पर उतारते हैं और दुनिया भर में फैलाते हैं। लेखक न हों, तो प्रभु निंदा के विचार किसी दिमाग में उठें भी, तो वहीं के वहीं बैठ जाएं, पानी के बुलबुलों की तरह। न शब्दों में ढल पाएं और न पब्लिक में फैल पाएं। फिर पब्लिक के भड़कने-वड़कने की तो खैर बात ही क्या करना।

रही बात लेखकों का भी नंबर आने की, तो लेखकों का नंबर अब भी नहीं आता तो कब आता। अब तो अमृतकाल भी आ गया। मोदी जी के दूसरे कार्यकाल का अंतिम समय भी आ गया। अब भी नहीं, तो कब? साढ़े नौ साल लेखकों का नंबर नहीं आया। पत्रकारों का नंबर आया। तरह-तरह के मीडिया वालों का नंबर आया। और तो और फैक्ट चैकरों तक का नंबर आया। डिजिटल खबरिया प्लेटफार्मों का नंबर आया। बार-बार और लगातार न्यूजक्लिक जैसों का नंबर आया। कार्टूनिस्टों का नंबर आया। स्टेंड अप कॉमेडियनों का नंबर आया। एक्टरों का नंबर आया। गायकों का नंबर आया। जिंगल बनाने वालों का नंबर आया। फिर भी लेखकों का नंबर नहीं आया, जो सारे झगड़े की जड़ हैं। एक बार, सिर्फ एक बार जरा सी देर को नंबर आया भी तो, पुरस्कार वापसी गैंग के तौर पर आया। या फिर कलबुर्गी या पानसरे बनकर नंबर आया। वरवरा राव का नंबर आया भी तो, भीमा कोरेगांव की भीड़ के हिस्से के तौर पर। बहुत हुआ तो एकाध मामले में बुलडोजर घर पर आया। पर ऐसे नंबर नहीं आया था, जैसे अब आया है, अरुंधती राय के साथ। वैसे अमृतकाल भी पहले कहां आया था!

बहुत भोले हैं, जो अब भी इसी पर अटके हुए हैं कि तेरह साल पहले दिए भाषण के लिए, अरुंधती राय का नंबर आया है। तब तो उसी दिल्ली पुलिस को उस भाषण में कार्रवाई करने लायक कोई बात नहीं लगी थी, अब उसे सरकार से कैसे मुकद्दमा चलाने की अनुमति मिल गयी। सिंपल है, अमृतकाल भी तो अब ही आया है। मोदी जी ने तो शुरू में ही चेता दिया था, जो सत्तर साल में नहीं हुआ, उनके राज में होगा। सो हो रहा है। तब जो तेरह साल पहले नहीं हुआ, वह होने में क्या मुश्किल थी! वैसे भी तेरह की संख्या का अपना महत्व है। कहते हैं कि बारह साल में तो घूरे के दिन भी फिर जाते हैं। अरुंधती राय का नंबर तो तेरह साल बाद आया है; अब भी नहीं, तो कब? रही बात बहुत टैम हो चुका होने की, तो यह छप्पन इंच वालों का टैम है। अमृतकाल से पहले कानून के हाथ लंबे बताए जाते थे, उनसे बचना मुश्किल था। अब कानून के हाथ गहरे खोदते हैं; चाहे आज अडानियों का घोटाले पर घोटाला निकल जाए, पर तेरह साल पहले का अरुंधती का राय का भाषण, मोदी जी के राज की नजरों से छुपा नहीं रह सकता है।

बस एक बात समझ में नहीं आयी। अरुंधती राय का यह कैसा नंबर आया है कि अभी तक जेल ही नहीं भेजा गया। माना कि राजद्रोह उर्फ सेडीशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टांग अड़ा रखी है, पर कम से कम यूएपीए पर तो कोई रोक नहीं थी। प्रबीर पुरकायस्थ, अमित चक्रवर्ती यूएपीए में दस दिन पहले जेल भेजे जा सकते हैं; गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज वगैरह बरसों तक जेल में बसाए जा सकते हैं; फिर अरुंधती राय क्यों नहीं? कहीं मोदी जी की सरकार अरुंधती राय के मामले में सिर्फ इसलिए तो नरमी नहीं बरत रही है कि बाकी सब की तरह और बहुत कुछ लिखने के बावजूद, अरुंधती राय ही हैं, जो उपन्यास-कहानी लिखती हैं! लेकिन इन किस्सा-कहानी लिखने वालों को हल्के में लेना ठीक नहीं होगा। उल्टे उनका लिखना बंद कराना तो और भी जरूरी है। पता नहीं कौन, नंगे राजा की एक और कहानी फैला जाए या 2014 लिख जाए।

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)

01
09
WhatsApp Image 2025-09-29 at 18.52.16_7b78a71e
spot_img
spot_img

अपना न्यूज़ पोर्टल - 9340765733

spot_img
spot_img
spot_img

Recent Posts

लैलूंगा में चोरी का दुस्साहस! माँ समलेश्वरी स्टोन क्रेसर  मांझीआमा में रात 1 बजे डीजल लूट, CCTV में कैद हुआ बेखौफ चोर

लैलूंगा में चोरी का दुस्साहस! माँ समलेश्वरी स्टोन क्रेसर  मांझीआमा में रात 1 बजे डीजल लूट, CCTV में कैद हुआ बेखौफ चोर लैलूंगा क्षेत्र...
Latest
लैलूंगा में चोरी का दुस्साहस! माँ समलेश्वरी स्टोन क्रेसर  मांझीआमा में रात ... बड़ी खबर! श्री श्याम ऑटोमोबाइल्स ने शुरू किया नया कमाई अवसर
WINTER SPECIAL OFFER – 15 दिसम्बर को होगा समाप्त!
श्री श्याम ऑटोमोबाइल्स की ओ...
श्री श्याम ऑटोमोबाइल्स लैलूँगा का धमाके पे धमाका अब एजेंट भाइयों के लिए खुसखबरी<... ● लैलूँगा क्षेत्र में पुलिस की जन चौपाल का प्रभाव, थाना प्रभारी दे रहे ग्रामीणों... ● एनएसएस शिविर में पुलिस का जागरूकता सत्र, एसडीओपी प्रभात पटेल ने बाल अधिकार, पॉ... ● ओडिशा से लापता नाबालिग बरामद, नाबालिग को भगा ले जाने वाले आरोपी को चक्रधरनगर प... ● जूटमिल पुलिस की बड़ी कार्रवाई : छातामुड़ा चौक पर 25 टन अवैध कबाड़ से भरी ट्रक ... लैलूँगा में रॉयल एनफील्ड सर्विस सेंटर की मनमानी! ग्राहकों से गाली-गलौज, खराब सर्... वीडियो देखें 🎥धान खरीदी में लूट-त्राहि! लैलूंगा में किसानों की चीख पुकार… हज़ारो...