
लैलूंगा में आरक्षण बचाओ महा रैली में उमड़ा जनसैलाब
लैलूंगा : आदिवासी बाहुल विकास खंड लैलुंगा के बुधवारी बाजार में छत्तीस गढ़ सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले विशाल महारैली का आयोजन हुआ जिसमें मुख्य अतिथि हृदय राम राठिया पूर्व विधायक, एवं अध्यक्षता सर्व आदिवासी समाज ब्लॉक इकाई लैलूंगा के अध्यक्ष अनंत राम पैंकरा द्वारा की गयी।
सर्व आदिवासी समाज लैलूंगा के तत्वाधान में महारैली में उमड़ा जनसैलाब वहीं आरक्षण बचाओ महारैली के मुख्य वक्ता हृदय राम राठिया, राजेश मरकाम, अनत राम पैंकरा दिलीप केरकेट्टा जैसे आरक्षण बचाओ के वरिष्ठ नेताओं ने इस महा रैली को संबोधित किया।
वक्ताओ ने कहा कि आदिवासीयों के साथ हो रहे आरक्षण के खिलाफ जो कदम उठाये जा रहे हैं उनके खिलाफ सभी आदिवासीयों को कदम से कदम मिलाकर साथ चलना होगा जिससे अपने संविधान व आरक्षण को बचाया जा सके वहीं बाबासाहेब के बनाए हुए संविधान की वजह से हम आज विधायक, सांसद, मंत्री राष्ट्रपति बनते हैं। यह सब संविधान की वजह से ही बने हैं और यह संविधान जो हमारे समाज को आगे बढ़ने का अवसर व अधिकार प्रदान करती है, उसे समाप्त किया जा रहा है।
अब जगह-जगह पर आदिवासीयों में आक्रोश पैदा हो रहा है? और वे कह रहे हैं कि आरक्षण भीख नहीं अधिकार है। हजारों सालों तक हमारे साथ अन्याय अत्याचार और शोषण किया गया है जिसकी एवज में आरक्षण मिला है। निजीकरण एवं भूमंडलीकरण की वजह से सरकारी नौकरियां दिन-प्रतिदिन समाप्त हो रही हैं। अनुसूचितजाति/जनजाति की तरक्की जो भी हुई है वह राजनीति, शैक्षणिक एवं सरकारी सेवाओं में आरक्षण की वजह से है। निजी क्षेत्र अब बहुत बड़ा हो गया है, जिसमें आदिवासीयों की भागीदारी नहीं के बराबर है। ऐसे में छत्तीस गढ़ की सरकार आदिवासीयों की आरक्षण पर गंभीर नहीं है, माननीय उच्च न्यायालय मे तत्कालीन व वर्तमान सरकारें हमारा मजबूत पक्ष रखने मे असफल रही हैं, किसी भी सरकार द्वारा नोट शीट तैयार कर आदिवासी समाज की साक्षरता, गरीबी, पिछड़ापन व नौकरियों में जन संख्या के अनुपात मे अपर्याप्तता का पुख्ता दस्तावेज न्यायालय में प्रस्तुत ही नहीं की गयी। फलस्वरूप हमारा हमारा 32 प्रतिशत आरक्षण घट कर 20 प्रतिशत रह गयी है जो आदि वासी समाज के लिए बड़ी क्षति है। सरकार को आदिवासीयों के बारे में एक बार सोचना पड़ेगा। क्या छत्तीस गढ़ में इतनी बड़ी आदिवासी आबादी को देश की मुख्यधारा से अलग करके अखंड और मजबूत देश बनाया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण मामले में कहा है कि आरक्षण 50% की सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही तीन शर्ते लगा दीं। सुप्रीम कोर्ट की पहली शर्त है कि यह जांच की जाए कि ये पिछड़े हैं कि नहीं। दूसरी शर्त के अनुसार आरक्षण से दक्षता पर असर नहीं पड़ना चाहिए। तीसरी शर्त के मुताबिक प्रतिनिधित्व की जांच करने के लिए कहा गया है। तमिलनाडु में आरक्षण 69 प्रतिशत तक है।शायद इसी वजह से वह कानून एवं व्यवस्था, शिक्षा एवं स्वास्थ्य, आदि राज्यों के मामलों में आगे है।
आंकड़े खुद बताते हैं कि आरक्षण पूरा हुआ ही नहीं तो सीमा लांघने की बात आदिवासीयों के मामले में कहां पैदा होती है? सरकार को संवैधानिक संशोधन करके आरक्षण देना चाहिए। इससे देश की एकता और अखंडता मजबूत होगी, क्योंकि यह सबकी भागीदारी का मामला है।
वहीं आरक्षण बचाओ रैली भारी संख्या में बुधवारी बाजार से निकल कर नगर के बीच से गुजरते हुए अनुविभागीय दंडाधिकारी कार्यालय पहुंची। और वहाँ तहसील दार लैलूंगा के माध्यम से 32% प्रतिशत आरक्षण की मांग के साथ अन्य तीन बिंदुओं को ज्ञापन में प्रमुखता से शामिल करते हुए माननीय मुख्यमंत्री, माननीय मुख्य सचिव, महामहिम राज्यपाल, एवं महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन सौपा गया। जो निम्नानुसार हैं:-
1 सरगुजा व बस्तर संभाग में तृत्य एवं चतुर्थ श्रेणी के की भर्ती 100 प्रतिशत स्थानीय किया जाय।
2 केंद्र के द्वारा वन अधिकार अधिनियम 2022 लागू नहीं किया जाय।
3 हसदेव अरण्य क्षेत्र में आदिवासी एवं वन संरक्षण के लिए कोल खनन बंद किया जाय। आरक्षण बचाओ महारैली में आदिवासी समाज का बहुत बड़ा जनसैलाब उमड़ा जन सैलाब में लैलूंगा ब्लॉक के 75 ग्राम पंचायतों से भारी संख्या में आदिवासी समाज के महिला पुरुष युवाओ सरपंच, पंच, बीडीसी, डीडीसी, आदि जन प्रतिनिधियों व कर्मचारियों ने बढ़ चढ़ कर रैली में हिस्सा लिया व रैली का मान बढ़ाया और रैली को सफल बनाया। आज की महारैली मे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश सचिव राजेश मरकाम, गोंड समाज के जिलाध्यक्ष रतन सिदार, जिला पंचायत सदस्य यशोमती सिदार, बीडीसी उलेमा कुजुर, सरपंच संघ अध्यक्ष महेंद्र सिदार सहित सभी सरपंच, एस टी एस सी संयुक्त मोर्चा अध्यक्ष श्याम लाल पैंकरा, सर्व आदिवासी समाज लैलूंगा कार्यकारी अध्यक्ष दिलीप केरकेट्टा, सर्व आदिवासी समाज जिला उपाध्यक्ष श्री साहनी राम कलंगा, गोंड समाज ब्लॉक अध्यक्ष मनमोहन सिदार, राठिया कंवर समाज अध्यक्ष नेहरू राठिया, परमानंद पैंकरा, समस्त आदिवासी समाज प्रमुख एवं आदिवासी समाज के कर्मचारी गण आदि भारी संख्या मे उपस्थिति रहे।





