

लैलूंगा: आधे-अधूरे पुल ने बढ़ाई ग्रामीणों की मुसीबत, भ्रष्टाचार की खुली पोल, “ना बनता तो बेहतर था” कह रहे ग्रामीण
रिपोर्ट ~ हीरालाल राठिया लैलूंगा
लैलूंगा, रायगढ़/ लैलूंगा के वार्ड क्रमांक 05 के कटेल पारा में नहर लाइनिंग के अंतर्गत बनाए जा रहे पुल निर्माण कार्य में भारी भ्रष्टाचार और लापरवाही की बात सामने आ रही है। यह पुल, जो स्थानीय ग्रामीणों की सुविधा के लिए बनाया गया था, अब उनके लिए जी का जंजाल बन गया है। पुल निर्माण में ऐसी खामियां और अधूरेपन की भरमार है कि क्षेत्रवासी कहने पर मजबूर हो गए हैं—”पुल बनता ही नहीं तो अच्छा था।”
जानकारी के अनुसार, नहर के ऊपर जो पुल बनाया गया है, उसमें सीमेंट के पाइप तो दोनों साइड डाले गए हैं, पिलर भी खड़े कर दिए गए हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण काम—बीच का ढलाई—अब तक नहीं किया गया है। और मुरुम मिट्टी से भर दिया गया है। इससे पुल अधूरा पड़ा हुआ है, जिससे रोजमर्रा की आवाजाही करने वाले ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि इस पुल निर्माण की जिम्मेदारी धरमजयगढ़ क्षेत्र के एक ठेकेदार को दी गई थी। ठेकेदार ने शुरुआत में कहा था कि पुल को मजबूती से ढलाई करके पूरा किया जाएगा, लेकिन मौके पर भेजे गए मुंशी और मजदूरों ने बिना ढलाई किए ही काम अधूरा छोड़ दिया। अब स्थिति यह है कि सीमेंट पाइपों के ऊपर मिट्टी और ईंट डालकर चलने लायक बना दिया गया है, जो कभी भी धंस सकता है और हादसे का कारण बन सकता है।
स्थानीय ग्रामीणों में इस लापरवाही को लेकर भारी आक्रोश है। कटेल पारा के एक निवासी बुधयार साय ने कहा, “सरकार से मांग थी कि नहर के ऊपर एक मजबूत पुल बने जिससे स्कूल जाने वाले बच्चे और किसान आसानी से आ-जा सकें, लेकिन आधे-अधूरे काम ने हमें और ज्यादा खतरे में डाल दिया है। यह पुल सुविधा नहीं, एक दुर्घटना स्थल बन चुका है।”
एक अन्य ग्रामीण महिला फूलों बाई ने बताया कि बारिश के समय पुल से फिसलने का डर बना रहता है, और बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। कई बार छोटे जानवर इस अधूरे पुल से गिर चुके हैं।
लोगों का कहना है कि जब तक ढलाई नहीं की जाती और पुल को तकनीकी रूप से सुरक्षित नहीं बनाया जाता, तब तक यह किसी भी समय जानलेवा साबित हो सकता है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इस मुद्दे की पूरी जानकारी दी गई है, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
यह मामला न सिर्फ निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि विकास कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उदासीनता को भी उजागर करता है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्दी ही इस पर ठोस कार्यवाही नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।
लैलूंगा के कटेल पारा का यह अधूरा पुल विकास की बजाय विनाश का कारण बनता नजर आ रहा है। प्रशासन और संबंधित विभाग को चाहिए कि तत्काल जांच कर दोषियों पर कार्यवाही करे और पुल को पूर्ण रूप से सुरक्षित बनवाए, ताकि ग्रामीणों की परेशानी दूर हो सके और भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो।
इस समंध में इंजीनियर से दूरभाष के माध्यम से संपर्क किया गया पर इंजीनियर चौधरी द्वारा कॉल कभी नही उठाया गया न ।