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Wednesday, July 16, 2025
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लैलूँगा नगर पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना में करोड़ों का घोटाला! | दोषी अधिकारी अब भी बेलगाम, कार्यवाही के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति

दोषियों को भाजपा शासन में वंही पोस्टिंग मिली

फर्जीवाड़ा, जालसाजी और प्रशासनिक मिलीभगत की जीती-जागती मिसाल बना

लैलूँगा 129 से ज्यादा फर्जी आवास, झूठे जिओटैग, गबन और अब चार साल बाद पैसा लौटाने की नौटंकी !

लैलूंगा नगर पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना में करोड़ों का घोटाला! | दोषी अधिकारी अब भी बेलगाम, कार्यवाही के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति

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लैलूंगा 129 से ज्यादा फर्जी आवास, झूठे जिओटैग, गबन और अब चार साल बाद पैसा लौटाने की नौटंकी !


लैलूंगा-नगर पंचायत लैलूंगा में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के नाम पर एक नहीं, दर्जनों नहीं, बल्कि सैकड़ों मामलों में फर्जीवाड़ा, घोटाला और शासकीय धन के गबन के गंभीर आरोप सामने आया। घोटाले की परतें अब एक-एक कर खुल रही हैं, लेकिन विडंबना यह है कि दोषियों पर अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी है।

यह घोटाला उस समय हुआ जब नगर पंचायत लैलूंगा में तत्कालीन प्रभारी सीएमओ सी.पी. श्रीवास्तव पदस्थ थे। उनके कार्यकाल (2019–2022) के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना में भारी पैमाने पर गड़बड़ी की गयी, जिसकी कई स्तरों पर शिकायतें हुईं, प्रमाण मिले और उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में खुद राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने एफआईआर के निर्देश दिए। लेकिन मामला आज भी “जांचाधीन” ही बना हुआ है।

भ्रष्टाचार की मुख्य कड़ियाँ: फर्जी जिओटैग, फर्जी फोटो, फर्जी हितग्राही, भुगतान किसी और के खाते में

प्रकरण 1: फुलेश्वरी यादव और जयकुमार यादव —
नगर पंचायत में स्वीकृत आवास, लेकिन निर्माण हुआ ग्राम पंचायत रुड़ुकेला में। भुगतान भी कर दिया गया और जिओटैग भी “फर्जी” साबित हुए। तकनीकी अमले, इंजीनियर और तत्कालीन सीएमओ की मिलीभगत से गैरकानूनी भुगतान हुआ।

प्रकरण 2: सुखदेव शाह —
सुखदेव शाह को आवास स्वीकृति की जानकारी तक नहीं, फिर भी उनके नाम से बिना आवास बने भुगतान हुआ। आवास की फोटो में रतन यादव की तस्वीर अपलोड की गई और पैसा सुखदेव सिदार नामक हमनाम को ट्रांसफर किया गया, जो तत्कालीन पंचायतकर्मी था।

प्रकरण 3: संकुवर मुंडा —
वार्ड क्रमांक 15 की संकुवर मुंडा को पता तक नहीं कि उन्हें आवास स्वीकृत हुआ है। निर्माण हुआ ही नहीं, लेकिन फर्जी फोटो में किसी वृद्ध महिला की तस्वीर और फर्जी जिओटैग के आधार पर भुगतान संकुवर सिदार (ग्राम झगरपुर) के खाते में कर दिया गया।


129 फर्जी आवास की हुई पहचान, 1119 स्वीकृत आवास में भारी अनियमितताएं

पीएम आवास योजना में 1119 लाभार्थियों को आवास स्वीकृत हुए, जिसमें 129 मामलों में खुला फर्जीवाड़ा दर्ज हुआ है।

कई दंपति (पति-पत्नी) को दो-दो आवास

मां-बेटे, शासकीय कर्मचारी, अपात्र परिवार, बिना निर्माण भुगतान

इंजीनियर और CLTC की सहमति से फर्जी निर्माण स्थलों का मूल्यांकन

बिना निर्माण फर्जी फोटो अपलोड और भुगतान

यह भ्रष्टाचार केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की मिलीभगत से अंजाम दिया गया। जिसमें तत्कालीन सीएमओ,इंजीनियर,CLTC, निजी फर्म MAS और Vice कंपनी के ऑपरेटर,कंप्यूटर ऑपरेटर,जिओटैग एजेंसी के कर्मचारी शामिल हैं।


सी.पी. श्रीवास्तव की चालाकी: आरोप लगने से पहले ही खुद को ‘बचाने’ का पत्र

सी.पी. श्रीवास्तव ने अपने खिलाफ कार्यवाही से बचने के लिए 9 अगस्त 2024 को एक पत्र लिख डाला, जिसमें उन्होंने ठेकेदार के व्हाट्सएप मैसेज का हवाला देते हुए कहा कि “मेरे कार्यकाल में संकुवर मुंडा की राशि किसी अन्य को दी गई हो सकती है”।
उन्होंने पूरे घोटाले की ज़िम्मेदारी अपने अधीनस्थों (कंप्यूटर ऑपरेटर पुण्यचंद पटेल, जिओटैग कर्मी कमल पांडे, CLTC ऑपरेटर रोहित सिदार और इंजीनियर अमित एक्का) पर डाल दी।

पर सवाल ये उठता है:
क्या सीएमओ की जानकारी के बिना कोई भुगतान हो सकता है? क्या प्रशासनिक प्रमुख सिर्फ नाम का होता है?


अब चार साल बाद गबन राशि का नगर पंचायत के खाते में जमा ! क्या यही है समाधान?

मामले उजागर होते ही कुछ प्रकरणों में आवास की राशि वापस पंचायत खाते में जमा करायी गयी। लेकिन यह महज़ एक दिखावा लगता है। राशि के चार साल बाद जमा कराया जाना शासकीय राशि के  गबन की साजिश पर पर्दा डालना है। राशि किसने जमा की और क्यों जमा की ,  कितनी राशि जमा हुई और कितना फर्जीवाड़ा किया गया यह भी जांच का विषय है।सूत्रों के अनुसार, अब यह रणनीति बनाई गई है कि भविष्य में यदि और घोटाले उजागर हों तो “राशि जमा वाउचर” दिखाकर बचाव किया जा सके।

सवाल यह भी है —
अगर भ्रष्टाचार नहीं था, तो राशि अब क्यों वापस की जा रही है? अगर था, तो अब तक FIR क्यों नहीं हुई?


राज्यसभा सांसद के निर्देश पर भी थाने में मामला दर्ज नहीं!

जनपद लैलूंगा की समीक्षा बैठक में सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने सीधे तौर पर थाना प्रभारी, अनुविभागीय अधिकारी और सीएमओ को FIR दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
तत्कालीन प्रभारी सीएमओ ममता चौधरी ने थाने में आवेदन भी दिया, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी नहीं हुई, ना ही कोई गिरफ्तारी, ना ही किसी अधिकारी को निलंबित किया गया।


कैसे होता है आवास योजना में भुगतान – समझिए पूरा तंत्र और गड़बड़ी

1. आवास मित्र (सर्वेयर) करता है जमीनी स्थल का जिओटैग


2. CLTC (City Level Technical Consultant) अपलोड करता है निर्माण स्थल की फोटो


3. इंजीनियर तैयार करता है नोटशीट


4. सीएमओ/प्रभारी अधिकारी करते हैं राशि भुगतान DBT माध्यम से


5. यदि इनमें से कोई भी चरण फर्जी है, तो पूरा भुगतान फर्जी है — और यही हुआ है लैलूंगा में

मुख्यमंत्री की चेतावनी के बावजूद कार्यवाही शून्य!

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर 5 लाख 11 हजार आवास की घोषणा करते हुए साफ कहा था कि
“पीएम आवास में 1 रुपये की भी गड़बड़ी होगी, तो जिला कलेक्टर तक पर कार्यवाही होगी।”

लेकिन लैलूंगा में करोड़ों की गड़बड़ी के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी मज़े में हैं। ना सीपी श्रीवास्तव पर कार्यवाही, ना इंजीनियर पर कार्यवाही, ना CLTC कंपनी की ब्लैकलिस्टिंग!


निष्कर्ष: जब सरकार की सबसे बड़ी योजना ही भ्रष्टाचार की शिकार हो जाए…

प्रधानमंत्री आवास योजना — जो गरीबों के सिर पर छत देने के लिए बनी थी — वो भ्रष्ट तंत्र की लूट की योजना बन गई है। लैलूंगा जैसे छोटे नगर पंचायत में जब इतनी बड़ी धांधली संभव है, तो कल्पना कीजिए प्रदेश के अन्य हिस्सों में क्या हो रहा होगा।

अब जरूरत है —

तत्काल FIR दर्ज हो

दोषी अधिकारियों को निलंबित कर गिरफ्तारी की जाए

CLTC और निजी कंपनियों की जांच हो

स्वतंत्र एजेंसी द्वारा पीएम आवास योजना की ऑडिट हो


क्योंकि…
“जब आवास बना ही नहीं, तो फोटो और जिओटैग कहां से आया?”
“जब लाभार्थी को पता ही नहीं, तो पैसा किसके खाते में गया?”
“जब चार साल बाद पैसा लौटाना पड़ा, तो गड़बड़ी थी या नहीं?”

सवाल बहुत हैं — जवाब देने वाला कोई नहीं।

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