*भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) – CPI(M)*
*छत्तीसगढ़ राज्य समिति*


*प्रेस विज्ञप्ति : 29.10.2023*
*प्रदेश में भाजपा को हराने की अपील के साथ कोंटा में मनीष कुंजाम को माकपा ने दिया समर्थन*
जगदलपुर। “मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने छत्तीसगढ़ में आम जनता से भाजपा की हार और विधानसभा में वामपंथ की उपस्थिति को सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। इससे हिंदुत्व की सांप्रदायिक राजनीति और कॉरपोरेटों के साथ गठबंधन की जनविरोधी राजनीति पर भी रोक लगेगी और जनता के बुनियादी मुद्दों पर जन संघर्ष की राजनीति को मजबूती मिलेगी। इन चुनावों में भाजपा की हार से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के कुशासन से मुक्ति की संभावनाएं और मजबूत होगी।”
उक्त बातें माकपा के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय पराते ने आज यहां आयोजित एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि देश आज चौतरफा संकट में है। केंद्र में आरएसएस -भाजपा सरकार जिन नीतियों पर चल रही है, उसके कारण देश का लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, भाईचारा, संविधान और संवैधानिक मूल्य — समग्रता में देश का भविष्य खतरे में है। जल-जंगल-जमीन-खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों को कॉर्पोरेटों के हवाले करने के लिए देश के कमजोर तबकों — आदिवासियों, दलितों पर बड़े पैमाने पर हमले किए जा रहे हैं। बस्तर के लोगों को इसकी कीमत अपने नागरिक अधिकारों पर सलवा जुडूम के हमले के रूप में चुकानी पड़ी है। पिछले पांच सालों में भाजपा ने आदिवासियों के बीच सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की ही कोशिश की है और इस दिशा में पेसा कानून को उनके अधिकारों पर हमला करने का औजार बनाया है। एक समुदाय के रूप में आदिवासियों के मानवाधिकारों और संवैधानिक अधिकारों पर तथा एक व्यक्ति के रूप में उनके नागरिक अधिकारों पर उसने हमेशा हमला किया है। इसलिए इन चुनावों में भाजपा को हराना जरूरी है।
माकपा नेता ने कहा कि बस्तर की जनता की अपेक्षाओं पर कांग्रेस भी खरी नहीं उतरी है। भाजपा राज में आदिवासियों पर हुई हिंसा के लिए जिम्मेदारों पर कार्यवाही करने के मामले में वह विफल साबित हुई है। वनाधिकार कानून का क्रियान्वयन निराशाजनक है और पेसा के नियमों को इस प्रकार बनाया गया है कि वह मूल कानून की भावना के खिलाफ ही हो गया है।
पराते ने कहा कि इंडिया समूह का सबसे बड़ा घटक दल होने के नाते यह कांग्रेस की जिम्मेदारी थी कि भाजपा की हार सुनिश्चित करने के लिए सांप्रदायिकता के खिलाफ अविचल संघर्ष करने वाली वामपंथी ताकतों का सहयोग लेती। वामपंथी ताकतें ही हैं, जो आदिवासियों, दलितों, मेहनतकशों और गरीबों के हितों की रक्षा के लिए लगातार लड़ रही है। आरएसएस-भाजपा के खिलाफ संघर्ष में इंडिया समूह की सबसे विश्वसनीय ताकत वामपंथ ही है। लेकिन यह कांग्रेस का अहंकार ही है कि उसने इस चुनाव में वामपंथ का सहयोग लेने की कोई कोशिश नहीं की।
कोंटा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी मनीष कुंजाम को माकपा के समर्थन की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि अपने छात्र जीवन से ही मनीष कुंजाम बस्तर में आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके कारण उन पर जानलेवा हमले भी हुए हैं। इस चुनाव में कोंटा विधानसभा से वे निर्दलीय प्रत्याशी हैं और एयर कंडीशनर (ए सी) उनका चुनाव चिन्ह है। माकपा नेता ने कहा कि आदिवासी अधिकारों पर लगातार हो रहे हमलों की पृष्ठभूमि में विधानसभा में एक ऐसे जन प्रतिनिधि की उपस्थिति जरूरी है, जो लोकतंत्र, संविधान और आदिवासी अधिकारों के पक्ष में तथा बस्तर के संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर सके। मनीष कुंजाम इसके लिए योग्यतम प्रत्याशी हैं, जो कांग्रेस-भाजपा दोनों को हराने में सक्षम हैं। विधानसभा में उनकी उपस्थिति से पूरे छत्तीसगढ़ में आम जनता की जायज मांगों पर हो रहे संघर्षों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। माकपा तन-मन-धन से मनीष कुंजाम का समर्थन कर रही है। माकपा को आशा है कि भाजपा-कांग्रेस की सांप्रदायिक और कॉर्पोरेटपरस्त राजनीति के खिलाफ इस बार विधानसभा में वामपंथ की भरोसेमंद उपस्थिति होगी।
*संजय पराते*
राज्य सचिवमंडल सदस्य, माकपा







