

आपातकाल की भयावहता पर विद्यार्थियों की कलम से विरोध का स्वर
लैलूंगा में जिलाध्यक्ष अरुणधर दीवान और मंडल अध्यक्ष मनोज सतपथी के मार्गदर्शन में भाजपा द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता में छात्रों ने सुनाया लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय का सच
रिपोर्ट ~ हीरालाल राठिया लैलूंगा
लैलूंगा, 25 जून 2025 —
“संविधान की हत्या”, “अभिव्यक्ति पर पहरा”, “लोकतंत्र का गला घोंटने वाला अध्याय”—इन तीखे शब्दों में विद्यार्थियों की कलम से निकला आक्रोश साफ झलक रहा था, जब भारतीय जनता पार्टी लैलूंगा द्वारा आयोजित आपातकाल विरोधी निबंध प्रतियोगिता में छात्रों ने अपने विचार रखे। यह आयोजन 25 जून 2025 को शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल झगरपुर और पीएम श्री आत्मानंद हायर सेकंडरी स्कूल लैलूंगा में किया गया।
इस प्रतियोगिता का उद्देश्य 1975 में लगे आपातकाल की त्रासदी को नई पीढ़ी के सामने लाना था ताकि वे जान सकें कि किस प्रकार लोकतंत्र को रौंदा गया था और भविष्य में ऐसे किसी भी तानाशाही प्रयोग का विरोध करना उनका नैतिक दायित्व है।
राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने बच्चों को बताया इतिहास का कड़वा सच
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद माननीय देवेंद्र प्रताप सिंह जी ने छात्रों को संबोधित करते हुए आपातकाल की भयावहता को विस्तार से रखा। उन्होंने बताया कि कैसे 25 जून 1975 को देश में संविधान को ताक पर रखकर लोकतंत्र को बंदी बना दिया गया। अखबारों पर सेंसरशिप, नेताओं की गिरफ्तारी, आम जनता की आवाज़ को कुचलना — यह सब उस दौर की कड़वी सच्चाई थी।
“आपातकाल केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि यह देश की आत्मा पर हमला था,” उन्होंने कहा। साथ ही बच्चों को देश के लिए जागरूक और संवेदनशील नागरिक बनने का संदेश दिया।
इतिहास को जानना है जरूरी: संयोजक मनीष मित्तल
कार्यक्रम संयोजक मनीष मित्तल ने बताया कि आपातकाल के दौरान लाखों लोगों की आज़ादी छीनी गई, उन्हें बिना कारण जेल में डाला गया, और संविधान को ताक पर रख दिया गया। उन्होंने कहा, “अगर हम इतिहास से नहीं सीखते, तो वही गलतियां दोहराई जाती हैं। यही कारण है कि इस निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, ताकि छात्र जानें कि सच्चा लोकतंत्र क्या होता है।”
उनके साथ कार्यक्रम के सह-संयोजक ललित प्रधान, सहयोगी सुशीला राठिया, और युवा मोर्चा अध्यक्ष अमर अग्रवाल ने पूरे आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
छात्रों में दिखा गज़ब का जोश, 160 प्रतिभागियों ने दिखाया दमखम
इस प्रतियोगिता में लगभग 160 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। छात्रों ने अपने निबंधों में खुलकर लिखा कि कैसे इंदिरा गांधी की सत्ता की लालसा ने देश को अंधेरे में धकेल दिया। कई छात्रों ने संविधान के अनुच्छेदों का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया कि उस दौरान किस प्रकार नागरिक अधिकारों का हनन किया गया।
विजेताओं की सूची:
लैलूंगा आत्मानंद हायर सेकंडरी स्कूल:
प्रथम पुरस्कार: रेणु नंदगवाल
द्वितीय पुरस्कार: अंकिता यादव
तृतीय पुरस्कार: शिवानी बेहरा
हायर सेकंडरी स्कूल झगरपुर:
प्रथम पुरस्कार: संजना लकड़ा
द्वितीय पुरस्कार: नंदनी यादव
तृतीय पुरस्कार: कृष्णा यादव
सभी विजेताओं को ट्रॉफी एवं नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में गणमान्यजनों की रही गरिमामयी उपस्थिति
इस कार्यक्रम में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, जनप्रतिनिधि, एवं कार्यकर्ता शामिल हुए, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल थे:
जिला सदस्य नटवर अग्रवाल,
नगर पंचायत उपाध्यक्ष कृष्णा जयसवाल,
मंडल महामंत्री पूनम कौशिक,
मंडल उपाध्यक्ष उमेश दादरीवाल और सुशीला राठिया,
मंडल मंत्री चमेली राठिया,
वरिष्ठ कार्यकर्ता नरेश नायक,
सदस्य आशीष मित्तल,
मीडिया प्रभारी दीपक शर्मा,
कार्यालय मंत्री नूतन प्रधान,
आईटी सेल सहसंयोजक नमित गर्ग,
मंडल मंत्री विष्णु प्रसाद,
प्रमोद पंडा, लीलाधर पटेल, मुन्ना कौशिक, रविंद्र भागवत, नीरज मित्तल, मुमताज खान सहित कई पदाधिकारी।
निबंध से निकला लोकतंत्र की रक्षा का संदेश
इस आयोजन ने केवल एक प्रतियोगिता तक ही सीमित रहकर नहीं बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक सशक्त संदेश दिया। बच्चों की बातों में स्पष्ट रूप से दिखा कि वे न केवल अतीत से अवगत हुए हैं, बल्कि भविष्य में लोकतंत्र पर किसी भी हमले के खिलाफ सजग रहने का संकल्प भी ले चुके हैं।
कार्यक्रम के अंत में जन गण मन की गूंज के साथ सभी ने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने का संकल्प लिया।
एक झलक में कार्यक्रम:
स्थान: शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल झगरपुर एवं पीएम श्री आत्मानंद हायर सेकंडरी स्कूल लैलूंगा
तारीख: 25 जून 2025
विषय: “आपातकाल — लोकतंत्र का काला अध्याय”
प्रतिभागी: 160 छात्र-छात्राएँ
पुरस्कार: ट्रॉफी + नगद सम्मान
मुख्य वक्ता: राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह
उद्देश्य: छात्रों को आपातकाल के इतिहास से जोड़कर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूक बनाना
यह आयोजन केवल एक निबंध प्रतियोगिता नहीं, बल्कि लोकतंत्र को समझने और उसकी रक्षा करने का एक जीवंत प्रयास था, जिसने छात्रों के मन में स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति और संविधान के प्रति सम्मान की भावना को मजबूत किया।