

ई.आई.टी. कॉलेज कुंजारा पर ताबड़तोड़ कार्यवाही : तहसीलदार लैलूंगा ने जारी किया बेदखली आदेश
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा, 6 जुलाई तक खुद हटाएं निर्माण, नहीं तो होगी बलपूर्वक कार्यवाही
लैलूंगा,/ लैलूंगा तहसील प्रशासन ने आज बड़ी कार्यवाही करते हुए ई.आई.टी. कॉलेज कुंजारा के संचालक आशीष कुमार सिदार के विरुद्ध सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर बेदखली का आदेश पारित कर दिया है। तहसीलदार न्यायालय लैलूंगा द्वारा जारी आदेश के अनुसार, कॉलेज परिसर ग्राम कुंजारा प.ह.न. 20, राजस्व निरीक्षण मंडल लैलूंगा के अंतर्गत आने वाली खसरा नंबर 243/1, रकबा 4.327 हेक्टेयर भूमि में अवैध रूप से बनाया गया है, जो “बड़े झाड़ के जंगल मद” के रूप में दर्ज शासकीय भूमि है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, संचालक आशीष सिदार द्वारा कुल 43 मीटर × 30 मीटर क्षेत्रफल, यानी लगभग 1290 वर्गमीटर में शासकीय जमीन पर कॉलेज भवन का निर्माण कर लिया गया है। प्रशासन द्वारा पहले भी नोटिस भेजकर पक्ष रखने का अवसर दिया गया था, किन्तु संचालक द्वारा न केवल न्यायालय में उपस्थित होने से परहेज किया गया, बल्कि नोटिस लेने से भी मना कर दिया गया। फलस्वरूप, उनके जवाब और पक्ष का अवसर स्वतः समाप्त मानते हुए तहसीलदार ने दिनांक 25.06.2025 को अंतिम निर्णय पारित करते हुए बेदखली का आदेश जारी किया।
6 जुलाई तक खुद हटाएं कब्जा, वरना हटेगा बुलडोजर से
जारी आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि संचालक को दिनांक 06 जुलाई 2025 तक स्वयं अवैध निर्माण हटाने का अंतिम अवसर दिया गया है। यदि इस अवधि तक अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो प्रशासन द्वारा बलपूर्वक कार्यवाही करते हुए अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाएगा, जिसका समस्त व्यय संचालक से वसूला जाएगा।
अवैध कब्जे को लेकर लम्बे समय से थी शिकायतें
स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों द्वारा लंबे समय से यह मुद्दा उठाया जा रहा था कि कॉलेज संचालक द्वारा सरकारी जंगल की भूमि पर अवैध कब्जा कर निर्माण किया गया है। इसके विरुद्ध कई आवेदन भी तहसील कार्यालय और जनपद पंचायत में दिए गए थे, लेकिन कार्यवाही की गति धीमी थी। अब तहसीलदार की यह त्वरित कार्यवाही स्थानीय प्रशासन की सक्रियता का संकेत मानी जा रही है।
प्रशासन की सक्रियता पर जनता में संतोष
इस कार्यवाही से क्षेत्र में प्रशासन की छवि मजबूत हुई है। स्थानीय नागरिकों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे आने वाले समय में अन्य अतिक्रमणकर्ताओं को भी कड़ा संदेश जाएगा। जंगल की भूमि पर इस तरह कब्जा कर संस्थान बनाना न केवल अवैध है, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी गंभीर खतरा है।
आशीष सिदार की चुप्पी सवालों के घेरे में
संचालक आशीष कुमार सिदार की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। उनके द्वारा न्यायालय में पक्ष न रखना और नोटिस लेने से इंकार करना इस पूरे मामले को और भी संदिग्ध बना देता है। लोगों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या इस अतिक्रमण के पीछे किसी रसूखदार राजनीतिक संरक्षण की भी भूमिका रही है?
तहसीलदार लैलूंगा द्वारा की गई यह बेदखली कार्यवाही न केवल एक अवैध कब्जे को समाप्त करने की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह प्रशासन की दृढ़ इच्छाशक्ति का भी परिचायक है। अब देखना यह होगा कि संचालक स्वयं निर्माण हटाते हैं या प्रशासन को बलपूर्वक कार्यवाही करनी पड़ती है। फिलहाल क्षेत्र में यह मामला चर्चा का केंद्र बना हुआ है।