
आदित्य खरे के खिलाफ जांच नहीं, एफआईआर चाहते है पीड़ित पालक,
हरदीप छाबड़ा,

राजनांदगांव/सदन में झूठी जानकारी, सूचना का अधिकार के अंतर्गत आवेदकों को झूठी जानकारी और कलेक्टर को झूठी जानकारी दी जिसकी अनेकों लिखित शिकायतें पीड़ित पालकों के द्वारा की गई, इसके बावजूद आदित्य खरे के खिलाफ अभी भी सिर्फ जांच कराने की बात कही जा रही है, जिससे नाराज पालकों ने संभागीय कमिश्नर से तत्काल एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
कोरोना काल वर्ष 2019 से लेकर 2021 तक अविभाजित राजनांदगांव जिले में कितने प्रायवेट स्कूल बंद हुए, इन बंद स्कूलों में कितने आरटीई के गरीब बच्चे प्रवेशित थे, वे आज कहां है, इसकी जानकारी छिपा कर तत्कालीन आरटीई नोडल आधिकारी आदित्य खरे घिरते नजर आ रहे है।
सूचना का अधिकार कानून के अंतर्गत आवेदकों ने जब जानकारी की मांग की तो श्री खरे ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराया और छत्तीसगढ़ विधानसभा में स्कूलवाईस जानकारी भेज दिया। अब शिकायतकर्त्ता उन पर कार्यवाही की मांग कर रहे है, क्योंकि उनका कहना है कि यदि कार्यालय में जानकारी उपलब्ध था तो आदित्य खरे ने उन्हें जानकारी उपलब्ध क्यों नहीं कराया और जो जानकारी सदन को भेजी गई है वह भी झूठी है, क्योंकि पीड़ित पालकों ने लिखित शिकायत कर खरे के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहे है, क्योंकि उनके बच्चे बंद स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित थे, लेकिन आरटीई कानून की धारा 9 के अंतर्गत उनके बच्चों को खरे ने किसी भी अन्य स्कूलों में प्रवेश नहीं दिलाया, वे मजबूरी में सोना गिरवी रखकर, पैसे उधारी लेकर अपने बच्चों को अन्य प्रायवेट स्कूलों में पढ़ा रहे है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने संभागीय कमिश्नर से इस मामले की लिखित शिकायत कर आदित्य खरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की है। वैसे भी आरटीई फीस स्कैम की जांच उच्च स्तर पर हो रही है, और राज्य ने इस प्रकरण को टीएल में रखा है, क्योंकि आरटीई प्रतिपूर्ति राशि की ऑडिट चल रही है और राज्य सरकार एक-एक पैसे का हिसाब मांग रही है। अब सवाल यह उठता है कि आदित्य खरे के खिलाफ पीड़ित पालकों ने दस्तावेजी साक्ष्य के साथ लिखित शिकायत की थी तो उन पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं किया गया, और उन्हे किसका संरक्षण प्राप्त है?